Ek choti si baat

मैं तो शायद, खामोश ही चलता रहा,

शोर तो बस मेरी तन्हाईयाँ करती रहीं,

कोशिश बेहद थी, तुझे छुपाने की,

और सारी कोशिशें नाकाम होती रहीं,

कुछ पन्नों पर तो दिल भी रोया,

और कुछ पर, बस आँखे नम होती रहीं,

इस कविता में, हाल अपना लिखना चाहा ,

पर ये कलम, बस तेरी कमी लिखती रही,

तस्वीर तेरी में रंग आंसुओं से भरे मैंने,

और दुनिया इन्हें कुछ रंग समझती रही,

इन चंद शब्दों ने तुझे समेटना चाहा है,

पर हर पंक्ति में, तेरी कमी ही बनी रही //

आशु

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